शनिवार, ८ मार्च, २०१४

आशाओंके बीज


हमने भी बोये है

कुछ आशाओं के बीज

हमारे मन में...

बस यही तमन्ना है

वह प्रस्फुटित हो

और भिडे गगन से...

वो आसमाँ भी

छु ले हम जो

आँखो मे हमारे...

पार करे हम

अपनी-अपनी रेखा

कुछ नया देखने चले...

बारिश की अनगिनत

पानिदार बुंदो की छिटे

धरती करे हरियाली...

प्रयास की धारा बहे

आशाओं के बीज अंकुरित हो

हमारे मन में...

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